सिंह गर्जना करने वाले रामजन्मभमि और हिंदुत्व आंदोलन के महानायक अशोक सिंघल

सिंह गर्जना करने वाले रामजन्मभमि और हिंदुत्व आंदोलन के महानायक अशोक सिंघल

सिंह गर्जना करने वाले रामजन्मभमि और हिंदुत्व आंदोलन के महानायक अशोक सिंघल
अशोक सिंघल .. ये वो नाम था जिसने भारत के धार्मिक जगत से लेकर सियासी खेमें में हलचल पैदा करदी थी। सिंह की गर्जना करने वाले अशोक सिंघल रामजन्मभूमि आंदोलन के महानायक थे। नब्बे के दशक में जब रामजन्मभूमि आंदोलन अपने यौवन पर था तब उनका अट्टाहास रामभक्तों में एक तूफान सा मचा देता था. इसी जोश ने भारत के माथे से उस कलंक को मिटा था जो विदेशी आक्रमणकारियों ने लगाया था। सिंघल जी को संन्यासी कहें या यौदा.. लेकिन अशोक जी पूरे जीवन भर अपने आपको राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ का प्रचारक ही मानते रहे।
अशोक जी का जन्म आश्विन कृष्ण पंचमी ( 27 सितंबर 1926) को उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ। उनके पिता श्री महावीर प्रसाद सिंघल शासकीय सेवा में उच्च पद पर थे। घर के धार्मिक वातावरण के कारण उनके मन में बालपन से ही हिंदु धर्म के प्रतिप्रेम जागृत हो गया था। उनके घर संन्यासी तथा धार्मिक विदान आया करते थे.. कक्षा नौ में महर्षि दयानंद की जीवनी पढने के बाद उनका भारत के हर क्षेत्र में संतो की समृद्द परंपरा एवं आद्यातमिक शक्ति से परिचय हुआ।
1942 में प्रयाग में पढते समय उनका संपर्क प्रो राजेंद्र सिंह(रजजू भैया) से हुआ जो उनको संघ की शाखा में ले गए। जिसके बाद फिर अशोक जी ने पीछे मुड कर नही देखा। 1947 में देश विभाजन के समय देशभक्तों का मन विभाजन की पीडा से सुलग रहा था.. यहीं अशोक जी ने अपना जीवन संघ कार्य को समर्पित करने का निश्चय कर लिया। बचपन से ही शास्त्रीय गायन में रुचि रखने वाले अशोक सिंघल जी ने संघ के कई गीतों की धुन बनाई है।
1948 में संघ पर प्रतिबंध लगा तो सिंघल जी सत्याग्रह करके जेल गए.. यहां से आकर उन्होनें बी ई अंतिम वर्ष की परीक्षा दी और प्रचारक बन गए.. संरसंघचालक श्रीगुरुजी से घनिष्टता रखने वाल अशोक जी लंबे समय तक कानपुर रहे.. यहां उनका संपर्क रामचंद्र तिवारी नामक विदवान से हुआ.. वेदों में महारत रखने वाले रामचद्र तिवारी का अशोक जी पर गहरा प्रभाव पडा। अशोक जी अपने जीवन में इन दोनों महापुरुषों का प्रभाव स्पष्टत स्वीकार करते है।
1975 से 1977 तक देश में आपताकाल और संघ पर प्रतिबंध रहा.. इस दौरान अशोक जी सरकार की तानाशाही के विरुद लोगों को एकजुट करते रहे.. इसी समय वो दिल्ली के प्रांत प्रचारक बनाए गए.. 1981 में डॉ कर्ण सिंह के नेतृत्व में विराट हिंदु सम्मेलन आयोजित किया गया.. पर उसके पीछे अशोक जी और संघ की शक्ति थी.. उसके बाद अशोक जी को विश्व हिंदु परिषद के काम में लगा दिया गया। ..इसके बाद परिषद के काम में धर्म जागरण, सेवा संस्कृत, गौरक्षा आदि विषय जुडे। सबसे महत्वपूर्ण था श्री रामजन्मभूमि आंदोलन जिसने देश की राजनैतिक दिशा ही बदल दी। जिसमें अशोक जी का योगदान उलेलखनीय है.. अशोक जी परिषद के काम के लिए विदेशों में प्रवास करते रहे है.. 2015 के अगस्त सितंबर में वे इग्लैंड, हॉलैंड और अमेरिका के एक महीने के प्रवास पर गए थे। परिषद के महासचिव चंपत राय भी उनके साथ थे.. पिछले कुछ समय से उनके फेफडों में संक्रमण हो गया था.. इससे सांस लेने में परेशानी हो रही थी.. इसी के चलते 17 नंवंबर 2015 को गुडगांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गय़ा। श्री रामजन्मभूमि में भव्य मंदिर निर्माण और हिंदुत्व की शक्ति का प्रचार प्रसार उनको सच्ची श्रदांजलि होगी जय श्री राम ,