राष्ट्रीय कवि संगम में नई पीढ़ी की ग्याहरवीं दस्तक रही जोरदार

राष्ट्रीय कवि संगम में नई पीढ़ी की ग्याहरवीं दस्तक रही जोरदार

राष्ट्रीय कवि संगम का नवोदित कवियों की ग्यारहवीं“दस्तक नई पीढ़ी की”कार्यक्रम टेकनिया सभागार, रोहिणी, दिल्ली में आयोजित किया गया | देशभर से चयनितइन युवा प्रतिभाओं को आशीर्वाद देने के लिए वीर रस के शीर्ष कवि डॉ हरिओम पंवार, भारतमाता की आरती के लिए प्रसिद्ध अन्तराष्ट्रीय कवि,चित्रकार, संगीतकार, राष्ट्रसंत बाबा सत्यनारायण मौर्य, दिल्ली टेक्नोलोजिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. योगेश सिंह, इंदिरा गाँधी वि.वि.मीरपुर, रेवाड़ी और खानपुर महिला वि.वि.के कुलपति डॉ. एस. पी. बंसल, महाराजा अग्रसेन वि.वि. सोलन के कुलाधिपति डा. नन्द किशोर गर्ग तथा अनेक जाने माने कवि, साहित्यकार, शिक्षाविद, कलाकार, उद्योगपति, चिकित्सक तथा अन्य प्रतिष्ठित जन उपस्थित रहे |जिनमे प्रमुख अग्रवाल पैकर एंड मूवर्स के श्री रमेश अग्रवाल,कोंटीनेंटल ग्रुप के श्री एस.एस अग्रवाल, टेकनिया इंस्टीट्यूट के श्री राम कैलाश गुप्ता, मैप्सको ग्रुप के श्री अमृत सिंगला, एकल विद्यालय कोषाध्यक्ष श्री संजीव गोयल, रोहिणी की लोकप्रिय निगम पार्षद श्रीमती ऋतु गोयल, पूर्व विधायक रुड़की श्री सुरेश जैन, जिंदल आर्य ग्रुप के श्री सुभाष जिंदल, बंगलौर से श्री रितेश गोयल, संस्थापक ट्रस्टी रोशन कंसल, कोषाध्यक्ष ईश्वर मित्तल, भूपेन्द्र कौशिक (दिल्ली), अरुण गोयल (IDBI), राष्ट्रीय मंत्री दिनेश देवघरिया , मनमोहन गुप्ता और कवियों में श्री राजेश चेतन, डॉ अशोक बत्रा, परामर्शदाता नरेश नाज़, नव नियुक्त राष्ट्रीय मंत्री दिनेश देवघरिया, म.प्र. अध्यक्ष सुमित ओरछा, छत्तीसगढ़ महामंत्री महेश शर्मा रायपुर, दिल्ली अध्यक्ष रसिक गुप्ता, अनिल अग्रवंशी, पी.के आज़ाद, डॉ विजय मित्तलप्रमुख रूप से उपस्थित थे |इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय जादूगर सम्राट शंकर ने अपनी जादुई कला का प्रदर्शन भी किया |कार्यक्रम के पूर्व पक्ष का सञ्चालन राष्ट्रीय महामंत्री श्रीराजेशचेतनने औरपश्चात का संचालनडा. अशोकबत्राने किया| चयनित कवियों में सर्वाधिक वाहवाही लूटी दिल्ली की कल्पना शुक्ला ने,जिसकी कविता “मेरी बीच में ही बंद क्यों पढाई कर दी” | इतनी जल्दी मेरी क्यों सगाई कर दीने श्रोताओं को मार्मिक संवेदनाओं से भर दिया | इससे पूर्व छतरपुर [म.प्र] से आई नम्रता जैन ने माँ सरस्वती की वंदना प्रस्तुत करते हुए देशराग के छंद सुनाकर सभी का दिल जीत लिया | देशभक्ति की लहर को खैरागढ़ [छ्त्तीसगढ़] से आए भावेश देशमुख ने प्रखर करते हुए कहा “सिंहों वाले भारत को फिर विश्व गुरु का खिताब मिले | हर बेबस बच्चे को रोटी, कपड़ा और किताब मिले” | ग्यारहवीं दस्तक को इस बात के लिए भी याद किया जाएगा कि देवघर से पधारे पंकज झा ने हिंदी के साथ साथ अनेक लोकप्रिय धुनों और रैप संगीत के साथ मिक्सिंग करते हुए संस्कृत गीतों की जो झड़ी लगाई उसने सभी उपस्थित श्रोताओं को झूमने के लिए विवश कर दिया |