कैसे छपता है पैसा?

कैसे छपता है पैसा?



जिन पैसो के लिए इंसान सुबह शाम संघर्ष करता रहता है वो पैसे आखिरकार कहां छपते है। ये बेहद गोपनीय है लेकिन इसके पीछे रोचक जानकारी है। हम आपको बताते है कि पैसा आखिर छपता कैसे है

पैसा छापने वाली मशीन का पेपर इन जगह होता है तैयार
आपको जानकार हैरानी होगी कि पैसा छापने वाली मशीन का पेपर सिर्फ दुनिया के चार देशों में तैयार किया जाता है इस देश के फार्म फ्रांस की अर्जो विगिज, अमेरिका का पोर्टल, स्वीडन का गेन, पेपर फैब्रिक्स ल्यूसेंटल। यह विकास दर, मुद्रास्फीति दर, कटे-फटे नोटों की संख्या और रिजर्व स्टॉक की जरूरतों पर निर्भर करता है।

इस जगह है पैसा छापने वाली मशीन

देश में चार बैंक नोट प्रेस, चार टकसाल और एक पेपर मिल है। पैसा छापने वाली मशीन मध्य प्रदेश के देवास, नासिक, सालबोनी और मैसूर में हैं। 1000 के नोट मैसूर में छपते हैं। देवास की नोट प्रेस में एक साल में 265 करोड़ नोट छपते हैं। देवास में तैयार स्याही का ही उपयोग किया जाता है। इनमें 20, 50, 100, 500 रुपए मूल्य के नोट शामिल हैं।
मध्य प्रदेश के ही होशंगाबाद में सिक्यॉरिटी पेपर मिल है। नोट छपाई पेपर होशंगाबाद और विदेश से आते हैं। जबकि टकसाल मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता और नोएडा में हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नोट तैयार करने के लिए कॉटन से बने कागज और खास तरह की स्याही का इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय करंसी नोट तैयार करने के लिए जिस कागज का इस्तेमाल होता है। उसमें कुछ का प्रोडक्शन महाराष्ट्र स्थित करंसी नोट प्रेस (सीएनपी) और अधिकांश का प्रोडक्शन मध्य प्रदेश के होशंगाबाद पेपर मिल में ही होता है। कुछ पेपर इम्पोर्ट भी किया जाता है।
नोट छापने के लिए ऑफसेट स्याही का निर्माण मध्य प्रदेश के देवास स्थित बैंकनोट प्रेस में होता है। जबकि नोट पर जो उभरी हुई छपाई नजर आती है। उसकी स्याही सिक्कम में स्थित स्वीस फर्म की यूनिट सिक्पा (एसआईसीपीए) में बनाई जाती है।
हम तक करेंसी कैसे पहुंचती है रिजर्व बैंक के देशभर में 18 इश्यू ऑफिस हैं। ये अहमदाबाद, बेंगलुरू,बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, मुंबई, नागपुर नई दिल्ली, तिरुअनंतपुरम में स्थित है। इसके अलावा एक सब आफिस लखनऊ में है। प्रिटंग प्रेस में छपे नोट पहले इन ऑफिस में ही पहुंचते है जहां से उन्हें कमर्शियल बैंक की शाखाओं में भेज दिया जाता है

• भारत समेत कई देशों में नोट बनाने के लिए कपास को कच्चे माल की तरह इस्तेमाल किया जाता है. कागज की तुलना में कपास ज्यादा मुश्किल हालात झेल सकता है. लेकिन नोट बनाने के लिए कपास को पहले एक खास प्रक्रिया से गुजरना होता है. कपास की ब्लीचिंग और धुलाई करने के बाद उसकी लुग्दी बनाई जाती है. इसका असली फॉर्मूला सीक्रेट है. इसके बाद सिलेंडर मोल्ड पेपर मशीन उस लुग्दी को कागज की लंबी शीट में बदलती है. इसी दौरान नोट में वॉटरमार्क जैसे कई सिक्योरिटी फीचर डाल दिये जाते हैं.
• यूरोजोन की मुद्रा यूरो में 10 से ज्यादा सिक्योरिटी फीचर होते हैं. इनकी मदद से जालसाजी या नकली मुद्रा के चलन को रोकने की कोशिश होती है. जालसाजी को रोकने के लिए निजी प्रिंटरों पर नकेल कसी जाती है.
• दुनिया के करीब सभी देशों में हर नोट बिल्कुल अनोखा होता है. उसका अपना नंबर होता है. यूरो के नोटों में भी ऐसा नंबर होता है. नोट छापने वाली 12 प्रिटिंग प्रेसें अलग अलग अंदाज में नंबर छापती है. नंबरों के आधार पर ही तय होता है कि कौन से नोट यूरोजोन के किस देश को भेजे जाएंगे.