आइये जाने , कैसे स्वच्छ रखें हम अपने पर्यावरण को

आइये जाने , कैसे स्वच्छ रखें हम अपने पर्यावरण को

नमस्कार, पर्यावरण प्रेमियों सबसे पहले मैं आपको यह बताता हूं कि आखिर पर्यावरण है क्या और हम इसे कैसे स्वच्छ रख सकते है देखिये, पर्यावरण शब्द की संधि विच्छेद करके हम इसे बहुत आसानी से समझ सकते है, परि+ आवरण , परि का अर्थ है चारों तरफ और आवरण का मतलब है घेरा हुआ अर्थात हमारे चारों तरफ प्रकृति तथा मानव निर्मित जो भी जीवित अथवा निर्जिव वस्तुए है जैसे वर्वत, पठार, झरने, झील, समुद् मैदान, पानी मिट्टी, हवा पेड पौधे, तालाब, कुएं नहर , जीव जंतु आदि। इन सबसे मिलकर ही हमारा पर्यावरण बनता है यदि प्रत्येक नागरिक इन्हें अपने जीवन का आधार बना ले तो सही मायनों में पृथ्वी का संरक्षण ही पर्यावरण का संरक्षण है, ये ही हमारा पर्यावरण है। आइये अब मैं आपको बताता हूं कि हम अपने पर्यावरण को कैसे स्वच्छ रख सकते है प्रदूषण रुपी दानव से निजात पाने के लिए हम सभी को बर्षाकाल में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करना चाहिए । जिसके लिए वयापक जन आंदोलन की आवश्यकता है क्योंकि आंम जन के जुडे बिना पर्यावरण प्रबंधन के सभी प्रयास निष्फल साबित होंगे। हमें धार्मिक- सामाजिक संस्थाओं, संगठनों एव सभाओं , पर्यावरण विदों , पर्यावरण प्रेहरियो, पर्यावरण प्रेमियों , रेजिडेंट्स वेलफेयर एसिएशन , स्कूल कॉलेज, महविद्यालयों, विश्वविद्यालयों के छात्र छात्राओं को साथ में लेकर पार्कों, उद्यानों , कार्यशालाओं तथा सार्वजनिक स्थानों पर अधिकाधिक वृक्ष लगाने चाहिएं और उन पर अपने नाम का पटिका लगाकर उनका संरक्षण अपने बेटा बेटी की तरह करना चहिए । इसी में हमारा और आने वाली युवा पीढी का भविष्य समाहित है। वृक्षारोपण से हमें फायदे जैसे 1 वृक्षारोपण से जहां प्रदूषण समाप्त होता है, वही वर्षा भी अधिक होती है । हमें वृक्षों से जल , जल से अन्न, और अन्न से जीवन मिलता है, जो व्यक्ति वृक्ष काटता है , उन्हें हानि पहुंचाता है, और नदियों को दूषित करता है वह आत्मघाती होता है और उसे दंडित अव्श्य किया जाना चाहिए। वृक्षों में स्मृति है पहचान है और दूसरों के मनोभावों को पबचानने की क्षमता भी है। जो मनुष्य पुष्प और फलों ये युक्त वृक्ष लगाता है वह परोपकारी और उत्तम गति को प्राप्त होता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कम से कम पांच वृक्ष( जैसे नीम, बड, पीपल, आंवला, जामुन , आम आदि) अवश्य लगाने चाहिए और उनका संरक्षण किया जाना चाहिए। पीपल का एकवृक्ष लगातार चार दिन तक हमें आक्सीजन देता है। एक वृक्ष औसतन 50 वर्षों तक 17.50 लाख रुपये की आक्सीजन का उत्पादन करता है। 41 लाख रुपये के पानी को रीसाइकिलिंग करता है। हर साल 3 किलों कार्बन आक्साइड को सोखता है। 3 प्रतिश्त के लगभग तापमान को कम कर देता है। 18 लाख रुपये के जमीनी कटाव पर होने वाले खर्चे को रोकता है। एक वृक्ष मरोणोपरांत भी हमें लगभग 1 से तीन लाख रुपये तक की लकड़ी देता है 2- अपने वाहनों की नियमित जांच कराते रहना चाहिए, पैट्रोल में उचित मात्रा में मोबिल- आयल डलवाना चाहिए, सीएनजी से चालित सार्वजनिक वाहनों और साईकल का इसतमाल अधिक से अधिक करना चाहिए 3 निशुल्क वाहन प्रदूषण जांच शिविरों का आयोजन, पर्यावरण बाचाओ रैली, पर्यावरण प्रभात फेरी, विचार गोष्ठियों, प्रदर्शनी, चित्रकला-निबंध लेखन वाद विवाद प्रश्नोत्त्री भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन, स्लोगन ळेखन, समाचार पत्र पत्रिकाओं में पर्यावरणीय जागृति शिक्षा एवं संरक्षण के लेखों, पर्यावरण पुस्तक लेखन के अतिरिक्त स्कूलों कॉलेजों में जाकर छात्र छात्राओं को पर्यावरण के प्रति जागृत, शिक्षित, एवं संरक्षित करने का कार्य भी निशुल्क और निस्वार्थ सेवा भान से करते रहना चाहिए 4- हमें अपने घरों, दफ्तरों, कारखानों दुकानों , स्कूलों कॉलेजों पार्को उद्यानों को साफ सुथरा और स्वच्छ रख कर भी अपने पर्यावरण को स्वच्छ रख सकते है नदियों, तालाबों समुद्दो में घटिया, कैमिकल से निर्मित मूर्तियो और फूल मालाओं का विसर्जन ना करें। अंत में मैं आपसे केवल इतना ही कहना चाहूंगा कि पर्यावरण बचेगा तो हमारा अस्तित्व बचेगा, अन्यथा हमारा और आने वाली पीढी का विनाश निश्चित है वृक्ष लगाए- प्रदूषण भगाए, हरित क्रांति हरा ही हरा