हिंदी दिवस पर दिल्ली के हंसराज कॉलेज में काव्य गोष्ठी

हिंदी दिवस पर दिल्ली के हंसराज कॉलेज में काव्य गोष्ठी


वैभव वेलफेयर सोसाइटी ने अपने साहित्यिक आयोजन "अनहद...काव्य-धारा" के दौरान हंसराज कॉलेज के विद्यार्थियों के बीच स्वरचित हिंदी भाषी कविता पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया। आयोजन हिंदी दिवस के उपलक्ष में किया गया। हंसराज कॉलेज सभागार में आयोजित कार्यक्रम का संचालित संस्था के अध्यक्ष व वरिष्ठ कवि भुवनेश सिंघल ने किया। सुप्रसिद्ध भजन गायक कुमार विशु, वरिष्ठ समाज सेवी रमेश बंसल, कनाडा से आये हिंदी साहित्यकार सरन घई, जयपुर से आये ज्योतिषाचार्य रविन्द्र, संस्था के चेयरमैन रोशन कंसल व कॉलेज की प्राचार्या डॉ रमा शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित किया। कवि हेमंत शर्मा दिल ने सरस्वती वंदना की। निर्णायक के रूप में fm फीवर 104 के मशहूर RJ राहुल माकिन, वरिष्ठ कवि रसिक गुप्ता व हेमंत शर्मा दिल रहे। विशिष्ठ अतिथि के रूप में सांसद प्रतिनिधि अजय महावर, अनिल सेठ, आशु गोयल, नीरज गुप्ता, स्वामी त्रिभुवन दास, गिरीश मित्तल, राजेन्द्र गुप्ता, मणि बंसल, गणेश यादव, हितेश जिंदल, लोकेश वर्मा, संजय त्यागी आदि उपस्थित थे।
प्रथम पुरुष्कार विजेता हिंदी प्रथम वर्ष के छात्र निशांत परमार रहे। वहीँ द्वितीय स्थान पर समीक्षा जैन व तृतीय पर साक्षी अहलावत बाजी मारने में सफल रहीं। सांत्वना विजेता के रूप में भास्कर त्रिवेदी व राजवीर चिड़दिया को चुना गया। सभी विजेताओं को नकद धनराशि के साथ प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। प्रथम विजेता निशांत ने अपनी कविता 'कश्मीरी धरती रोती है पाकिस्तानी हमलों से कांटे हिस्सा मांग रहे हैं फूलों वाले गमलों से' सुनाई। द्वितीय आईं साक्षी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को आधार मानकर 'अच्छी मम्मी प्यारी मम्मी अपनी जिद को जाने दो, प्यार भले न करना मुझको दुनियां में तो आने दो' सुनाकर श्रोताओ की आँखे नाम कर दीं। वहीं तृतीय आयीं साक्षी ने 'आखों ही आँखों में ऐसी बात हो गयी, न तूने जाना न मैंने समझा और एक नई शुरुआत हो गयी' सुनकर लोगों की खूब वाहवाही पाई। सांत्वना विजेता भास्कर ने छूट गया वो साथ पिता का पेट काट जिसने पाला था तथा राजवीर ने करते हैं प्यार बहुत मगर इक दूजे को मिल नहीं पाते को भी उनके सहपाठियों ने जमकर सराहा।
वहीँ कार्यक्रम के आयोजक व वरिष्ठ कवि के रूप में उपस्थित भुवनेश सिंघल ने हिंदी को समर्पित 'जय हिंदी जय हिन्द का जन जन गावे गीत भगवन मेरे देश को दो ऐसा संगीत' सुनाते हुए देश के बंटवारे के समय की हिंसा पर आधारित कविता 'बंटवारे का दर्द देखकर भू ये शांर्मिंदा थी मानवता का चला जनाजा बेशर्मी जिन्दा थी भारत माता नंगी थीं पर तू धोती में आया भारत माँ की चीख न सुनकर ईश्वर अल्लाह गाया तुम पर लाठी थी क्या बापू केवल दिखलाने को अपने दोनों गाल रखे बस केवल पिटवाने को आज़ादी तो बंदूकों की गोली से थी आई लेकिन सारी शोहरत बापू चरखे ने ही पाई अगर चाहते तुम जो माँ ना टुकड़ो टुकड़ो कटती हिन्दू मुस्लिम की खाई ना इतनी गहरी बनती उल्टी नदी बहा डाली थी कैसा घाघ बना तू जिसकी गोदी में था खेला उसका बाप बना तू' सुनकर श्रोताओं की जमकर तालियां बटोरीं रह रहकर सम्पूर्ण कॉलेज सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज रहा था। वहीँ सिंघल ने देश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद आये बदलाव को इंगित करते हुए एक अन्य कविता 'सत्तर सालों तक तो तूने उल्टा पाठ पढ़ाया है भारत माँ को जख्म दिए फिर उनपे नमक लगाया है समय नहीं अब होश में आज वरना सबक सिख देंगे भारत माँ की गद्दी अबके तेरा बाप बिठाया है' पर युवा श्रोताओं का जोश देखते ही बनता था।
रोशन कंसल ने बताया की संस्था का उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के साथ युवा प्रतिभावान कवियों की खोज कर उनकी प्रतिभा को समाज के समक्ष लाना है। देश का साहित्य जितना उन्नत होगा उतनी ही गहरी हमारी संस्कृति की जड़ें होंगी।
कुमार विशु ने विद्यार्थियों की मांग पर एक एक कर कई भजन सुनकर लोगों को खूब झुमाया। उन्होंने अपना सुप्रसिद्ध भजन कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं भी सुनाया। विशु के हिंदी गानों पर झूमते युवाओं की खुमारी हिंदी के प्रति बढ़ते आकर्षण का साफ प्रमाण दे रही थी।
लव गुरु राहुल माकिन के चुटीले अंदाज और शेरो शायरी पर युवा विद्यार्थी जोश से लबरेज दिखे। राहुल ने युवाओ लो लव टिप्स भी दिए। वहीँ निर्णायक के रूप में उपस्थित वरिष्ठ कवियों ने भी अपनी कविताओ से श्रोताओ को खूब गुदगुदाया।
कनाडा से आये साहित्यकार ने कनाडा में हिंदी के बढ़ते कदम की जानकारी दी और वहां पर किये जा रहे उनके कार्यों की जानकारी दी और अपनी कवितायेँ भी सुनाई। NEWSH_END