डेंगू गंभीर होने पर आ सकती है लिवर में सूजन

डेंगू गंभीर होने पर आ सकती है लिवर में सूजन


डेंगू दुनिया भर में पाया जाने वाला एक खतरनाक वायरल रोग है जो कि मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। एक संक्रमित मच्छर अनेक बच्चों को डेंगू रोग से ग्रसित कर सकता है। यह सामान्यता दिन में काटता है।
डेंगू बुखार को ‘‘हड्डी तोड़ बुखार’’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इससे पीड़ित बच्चों को बदन दर्द होता है और शरीर टूटा-टूटा सा व कमजोर महसूस होता है। डेंगू वायरस जन्म से लेकर किसी भी उम्र तक के बच्चों को अपना शिकार बना सकता है।
डेंगू वायरस चार भिन्न प्रकार के होते हैं। यदि किसी बच्चे को इनमें से किसी एक प्रकार के वायरस का संक्रमण हो जाये तो आमतौर पर उसके पूरे जीवन में वह उस प्रकार के डेंगू वायरस से सुरक्षित रहता है। यदि उसको भविष्य में शेष तीन में से किसी भी प्रकार के वायरस से संक्रमण हो तो उसे गंभीर समस्याएँ होने की संभावना होती है।
डेंगू वायरस से संक्रमित लगभग 80-90% बच्चों में हल्के लक्षण होते हैं तथा लगभग 10-20% बच्चे गंभीर रूप से बीमार होते हैं जिन्हे हॉस्पिटल में भर्ती करने की आवश्यकता हो सकती है।
डेंगू से पीड़ित बच्चों में बड़ों की अपेक्षा बीमारी अधिक गंभीर होती है। लड़कियों की अपेक्षा लड़कों में यह बीमारी अधिक होती है। पुरानी (दीर्घ-अवधि) की बीमारियाँ जैसे- मधुमेह, लिवर डीजिज तथा अस्थमा वाले बच्चों में डेंगू होने पर अधिक खतरनाक व जान लेवा भी हो सकता है।
डेंगू के लक्षण :- तेज बुखार, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, सिर दर्द, आखों के पीछे दर्द, जी मिचलाना, उल्टी होना, त्वचा पर लाल रंग के छोटे-छोटे, राई के आकार के दाने निकलना
डेंगू हेमोरेजिक फीवर :-
1. तेज बुखार, लगातार सिर दर्द, चक्कर आना, भूख न लगना।
2. खून में प्लेटलेट्स की संख्या कम होना जिससे रक्त स्त्राव की प्रवृति बढ़ना।
डेंगू शोक सिन्ड्रोम :-
1. प्लासमा रिसाव होने के लक्षण मिलना-जैस पेट में या फेफड़ो मे पानी भरना।
2. कमजोर नब्ज चलना या नब्ज का दबाव (ब्लड़ प्रेशर) कम होना।
3. हेमोट्रोक्रिट बढ़ जाना।
अगर पेट में दर्द अधिक हो व सूजन आएं तो लिवर ऐन्जाईम के टेस्ट भी करवाएँ -
डेंगू वाइरस की संख्या शरीर में बढ़ने पर धीरे-धीरे यह अन्य अंगों पर भी असर डालने लगता है। लिवर इनमें से सबसे मुख्य अंग है जिस पर डेंगू अपना असर दिखाता है।
डेंगू के होने पर तीसरे-चौथे दिन पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होने लगता है जिसके कारण लिवर में सूजन हो जाती है तथा धीरे-धीरे पेट में पानी भरने लगता है एवं लिवर के ऐन्जाईम बढ़ना शुरू होने लगते हैं। एक अध्ययन के अनुसार-डेंगू में लगभग दो-तिहाई बच्चों में लिवर में सूजन आती है तथा लगभग 3-5% बच्चों में यह सूजन बहुत अधिक होती है और आई.सी.यू की आवश्यकता भी हो सकती है। कई बार स्थिति अधिक गंभीर होने पर लिवर काम करना बंद कर देता है तथा इसकी वजह से शरीर के किसी भी अंग से रक्त स्त्राव हो सकता है।
डेंगू का उपचार :- उपचार का मुख्य तरीका सहायक चिकित्सा देना है, मुख से तरल पदार्थ देते रहना चाहिए जैसे-पानी, शरबत, ज्यूस, शिकंजी, ओ.आर.एस. का घोल आदि। अन्यथा शरीर में जल की कमी हो सकती है, मुंह से नहीं लेने की स्थिति में नसों से भी तरल पदार्थ (ड्रिप) दिया जा सकता है। स्थिति गंभीर होने पर प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से कम होती है जिससे रक्त स्त्राव शुरू हो सकता है ऐसी स्थिति में रक्त या प्लेटलेट्स चढ़ाना पड़ सकता है।
डेंगू से बचाव निम्न प्रकार से किया जा सकता है :-
घर में एवं घर के आसपास पानी एकत्र ना होने दें।
यदि घर में बर्तनों आदि में पानी भरकर रखना है तो ढक कर रखें। यदि जरूरत ना हो तो बर्तन खाली कर के या उल्टा कर के रखें।
कूलर, गमले आदि का पानी रोज बदलते रहें। यदि पानी की जरूरत ना हो तो कूलर आदि को खाली करके सुखायें।
बच्चों को ऐसे कपड़े पहनाएं जो शरीर के अधिकतम हिस्से को ढक सकें।
मच्छर रोधी क्रीम, स्प्रे, लिक्विड़, इलेक्ट्रानिक बैट आदि का प्रयोग मच्छरों से बचाव हेतु करें।
साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
अच्छे उपचार के बावजूद लगभग 0.1-1.0% बच्चों की डेंगू से मृत्यु भी हो जाती है।
वैज्ञानिक, डेंगू के रोकथाम तथा उपचार के मार्गों पर शोध कर रहे हैं। मच्छरों पर नियन्त्रण पाने, वैक्सीन बनाने तथा वायरस से लड़ने के लिये दवाएं बनाने पर कार्य कर रहे हैं। उदाहरण के लिये गप्पियाँ (पाइसीलिया रेटिक्युलाट) या कोपपॉड को ठहरे हुये पानी में मच्छरों के लार्वा खाने के लिये डाला जा सकता है।
वयस्क मच्छरों को काबू में करने हेतु कीटनाशक धुंआ का उपयोग कर सकते हैं। डेंगू से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका मच्छरों की आबादी पर काबू करना है। अभी तक डेंगू का कोइ भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है इस पर रिसर्च चल रही है।
डेंगू से बचाव के लिये डरे नहीं, बल्कि साहस से काम लें। डेंगू एक गंभीर बीमारी है लेकिन समय से दिखाकर इलाज करवाने से मरीज की जान बचाई जा सकती है।
डॉ. नटवर परवाल
फेलोशिप-ईसपगान, मेदान्ता द मेडिसिटी
बच्चों के पेट, आँत व लीवर रोग विशेषज्ञ
महात्मा गांधी हॉस्पिटल, सीतापुरा, जयपुर
मो. - 96109-51425
ई-मेल : dr.nats@yahoo.com