बीमारियों से कोसो दूर रखती है नाशपाती
पुराने से पुराने कब्ज को नाशपाती चंद घंटो में गायब कर देती है।यदि प्रत्येक व्यक्ति सिर्फ कब्ज के प्रति ही सचेत हो जाए तो उसे कोई रोग नही हो सकता। नाशपाती एक सस्ता फल है जो हर व्यक्ति के लिएसुलभ है और बगैर दवा के व्यक्ति अपने रोग दूर कर सकता है। रोगों को समाप्त करने के लिएही ही बल्कि रोगों को दूर रखने के लिए और हमेशा स्वस्थ रहने के लिए भी हर व्यक्ति को एक गिलास, रस प्रतिदिन सेवन करना चाहिए।
लाभ- यह एक गूदेदार फल है। इसमें रेशा नही होता। 100 ग्राम नाशपाती में215 कैलोरी ऊर्जी होती है। जो लोग खट्टे फल नही खा सकते उनके लिएनाशापाती अनूकूल है। नाशपाती की प्रकृति खट्टी है। शुगर के रोगी के लिए अमृतफल है। मीठा फल होने के वावजूद शुगर के रोगी बिना सोच विचार के इसका प्रयोग कर सकते है। एक गिलास रस पीने के बाद बेलपत्थर /बेलगिरी के पेड के अगर ग्यारह पत्ते चबाकर खाए जाए तो इंसुलिन का इंजेक्शन लेने की जरुरत नही पडती। क्योंकि पत्ते इंसुलिन का काम करते है। नाशपाती की प्रजाति के अन्य फल नाख और बब्बुगोशा भी है परंतु गुणोंमें नाशपाती सर्वोत्तम है। आयुर्वेद के अनुसार वात्त पित्त कफ तीन दोष होते है। नाशपाती तीनो दोषो को दूर कर मनुष्य को निरोगी बनाती है। इसका रस छिपे हुए, सडे हुए व एकत्रित हुए मल को बाहर फेंकता है। बढ़े हुएपेट को घटाता है और मोटापा कम करता है। यदि मोटापा कम हो जाए तो जीवन भर घुटनों में दर्द नही होता। पेट की जलन को शांत करता है। पेट के घाव(फोडे) जिन्हे अल्सर कहा जाता है उन्हें भी ठीक करता है आंतो की जलन , सूजन व घावों ( कोलाइटस ) को भी ठीक करता है। एग्जीमा व खुजली के रोगों की अचूक दवा है। बवासीर व खूनी बबासीर को दूर करता है जो कब्ज का रोग है। यह चेहरे को कान्तिमय करता है तथा त्वचा की खुशकी को भी दूर करता है। इसके गूदे का लेप चेहरे पर लगाने से चेहरा चमक जाता है। इसमेंवसा भी काफी मात्रा है अत रात्रि मेंदूध के स्थान पर इसका रस पीने से सुबह दस्त बहुत अच्छा होता है। चेहरे पर होने वाले मुहांसे कब्ज का ही परिणाम है, उन्हे भी दूर करता है इसका रस, यह वायूनाशक है अत वायू के सभी रोगों से राहत दिलाता है। यह वीर्य अधिक उतपन्न करता है, यह हद्य मस्तिष्क, अमाश्य और लीवर को बल देता है, लिकोरीया, मासिक धर्म से पहले पेडु जांघो मेंदर्द व अनिय़मितति मासिक धर्म को दूर करता है। यह गुर्दे तथा पित्त की थैली की पथरी को दूर करता है। किसी भी प्रकार की पथरी को सफेद पेठे का रस अधिक तेजी से बाहर निकाल देता है ।हाई ब्लड प्रेशर के रोगी भी इसका लाभ प्राप्त कर सकते है। इसमें सभी प्राकृतिक लवण किसी ना किसी मात्रा मेंउपलब्ध है, इसमें पैप्टिक तथा मौलिक एव साइट्रिक एसिडसेब से भी अधिक होता है.. इन्ही तत्वों के कारण यह बढ़े हुए लीवर , प्लीहा में भी लाभकारी है। उच्चकोटि का मूत्रल होने के कारण यह किडनी की जलन और पेशाब की जलन को दूर करता है
प्रयोग-इसको छीलकर हरगिज प्रयोग ना करे। आलू की तरह ही इसके छिलके के नीचे ही सभी खनिज, लवण और पोषक तत्व मौजूद होते है। सख्त फल होने के कारण आलस्य की वजह से आप अधिक ना खा पाएंगे अत इसका रस ही पीना चाहिए। इसके रस में नमक,काला नमक,काली मिर्च नींबू आदि का प्रयोग ना करें। गाजर के जूसर में इसका रस आसानी से निकल जाता है अन्यथा कद्दूकस करके या इमामदस्ता मूसली से कूटकर कपड़े से निचोड कर रसनिकाल लें। एक बार में 200-300 ग्राम रस अवश्य पीए। पुराने कब्ज के रोगी पहली बार 3-4 गिलास रस का प्रयोग करें। इसके पीने के बाद दस्त खुलकर आते है अत कोई भी दस्तों को रोकने की दवाई का प्रयोग ना करें किसी भी बुखार की अवस्था मेंइसकाप्रयोग ना करें, गला बैठने में भी इसका प्रयोग ना करें। पेट की सफाई होने की वजह से यह आंव बनती है और दो तीन दिनों मेंबंद हो जाती है
गोला गिरी की तरह सख्त एवं सस्ता फल होने की वजह से अक्सर आपका ध्यान नाशपाती की ओर नही जाता। परंतु यह गुणोंसे भरपूर है। मनुष्य के सभी रोगोंकी जड़ कब्ज है। यदि कब्ज ना हो तो मनुष्य रोगी नही हो सकता ।नाशपाती कब्ज की सबसे बड़ी दुश्मन है
लाभ- यह एक गूदेदार फल है। इसमें रेशा नही होता। 100 ग्राम नाशपाती में215 कैलोरी ऊर्जी होती है। जो लोग खट्टे फल नही खा सकते उनके लिएनाशापाती अनूकूल है। नाशपाती की प्रकृति खट्टी है। शुगर के रोगी के लिए अमृतफल है। मीठा फल होने के वावजूद शुगर के रोगी बिना सोच विचार के इसका प्रयोग कर सकते है। एक गिलास रस पीने के बाद बेलपत्थर /बेलगिरी के पेड के अगर ग्यारह पत्ते चबाकर खाए जाए तो इंसुलिन का इंजेक्शन लेने की जरुरत नही पडती। क्योंकि पत्ते इंसुलिन का काम करते है। नाशपाती की प्रजाति के अन्य फल नाख और बब्बुगोशा भी है परंतु गुणोंमें नाशपाती सर्वोत्तम है। आयुर्वेद के अनुसार वात्त पित्त कफ तीन दोष होते है। नाशपाती तीनो दोषो को दूर कर मनुष्य को निरोगी बनाती है। इसका रस छिपे हुए, सडे हुए व एकत्रित हुए मल को बाहर फेंकता है। बढ़े हुएपेट को घटाता है और मोटापा कम करता है। यदि मोटापा कम हो जाए तो जीवन भर घुटनों में दर्द नही होता। पेट की जलन को शांत करता है। पेट के घाव(फोडे) जिन्हे अल्सर कहा जाता है उन्हें भी ठीक करता है आंतो की जलन , सूजन व घावों ( कोलाइटस ) को भी ठीक करता है। एग्जीमा व खुजली के रोगों की अचूक दवा है। बवासीर व खूनी बबासीर को दूर करता है जो कब्ज का रोग है। यह चेहरे को कान्तिमय करता है तथा त्वचा की खुशकी को भी दूर करता है। इसके गूदे का लेप चेहरे पर लगाने से चेहरा चमक जाता है। इसमेंवसा भी काफी मात्रा है अत रात्रि मेंदूध के स्थान पर इसका रस पीने से सुबह दस्त बहुत अच्छा होता है। चेहरे पर होने वाले मुहांसे कब्ज का ही परिणाम है, उन्हे भी दूर करता है इसका रस, यह वायूनाशक है अत वायू के सभी रोगों से राहत दिलाता है। यह वीर्य अधिक उतपन्न करता है, यह हद्य मस्तिष्क, अमाश्य और लीवर को बल देता है, लिकोरीया, मासिक धर्म से पहले पेडु जांघो मेंदर्द व अनिय़मितति मासिक धर्म को दूर करता है। यह गुर्दे तथा पित्त की थैली की पथरी को दूर करता है। किसी भी प्रकार की पथरी को सफेद पेठे का रस अधिक तेजी से बाहर निकाल देता है ।हाई ब्लड प्रेशर के रोगी भी इसका लाभ प्राप्त कर सकते है। इसमें सभी प्राकृतिक लवण किसी ना किसी मात्रा मेंउपलब्ध है, इसमें पैप्टिक तथा मौलिक एव साइट्रिक एसिडसेब से भी अधिक होता है.. इन्ही तत्वों के कारण यह बढ़े हुए लीवर , प्लीहा में भी लाभकारी है। उच्चकोटि का मूत्रल होने के कारण यह किडनी की जलन और पेशाब की जलन को दूर करता है
प्रयोग-इसको छीलकर हरगिज प्रयोग ना करे। आलू की तरह ही इसके छिलके के नीचे ही सभी खनिज, लवण और पोषक तत्व मौजूद होते है। सख्त फल होने के कारण आलस्य की वजह से आप अधिक ना खा पाएंगे अत इसका रस ही पीना चाहिए। इसके रस में नमक,काला नमक,काली मिर्च नींबू आदि का प्रयोग ना करें। गाजर के जूसर में इसका रस आसानी से निकल जाता है अन्यथा कद्दूकस करके या इमामदस्ता मूसली से कूटकर कपड़े से निचोड कर रसनिकाल लें। एक बार में 200-300 ग्राम रस अवश्य पीए। पुराने कब्ज के रोगी पहली बार 3-4 गिलास रस का प्रयोग करें। इसके पीने के बाद दस्त खुलकर आते है अत कोई भी दस्तों को रोकने की दवाई का प्रयोग ना करें किसी भी बुखार की अवस्था मेंइसकाप्रयोग ना करें, गला बैठने में भी इसका प्रयोग ना करें। पेट की सफाई होने की वजह से यह आंव बनती है और दो तीन दिनों मेंबंद हो जाती है
गोला गिरी की तरह सख्त एवं सस्ता फल होने की वजह से अक्सर आपका ध्यान नाशपाती की ओर नही जाता। परंतु यह गुणोंसे भरपूर है। मनुष्य के सभी रोगोंकी जड़ कब्ज है। यदि कब्ज ना हो तो मनुष्य रोगी नही हो सकता ।नाशपाती कब्ज की सबसे बड़ी दुश्मन है