Vaish Samaj
वैश्य समाज -
'वैश्य' शब्द वैदिक 'विश्' से निकला है। अर्थ की दृष्टि से 'वैश्य' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है, जिसका मूल अर्थ "बसना" होता है। विश् का एक अर्थ 'प्रजा' भी है। प्राचीन काल में प्रजा (समाज) को विश् नाम से पुकारा जाता था। इसके प्रधान संरक्षक को 'विशपति' (राजा) कहते थे, जो निर्वाचन से चुना जता था। वैश्य का हिंदुओं की वर्ण व्यवस्था में तीसरा स्थान है। इस वर्ण के लोग मुख्यत: वाणिज्यिक व्यवसाय और कृषि करते थे। मुख्य रूप से भारतीय समाज के किसान, पशुपालक, और व्यापारी समुदाय शामिल हैं।
पुराणों में सत्यनारायण वृतकथा में - 'वैश्य और उसके जमाई की कथा का वर्णन देखने को मिलता है... इनमें व्यवसाय को करने के लिये व्यापारिक सूझबूझ, व्यवहार-कुशलता, परिवर्तनशीलता, वाक्पटुता, जोखिम उठाने तथा सहने की क्षमता, धैर्य, परिश्रम तथा चतुरता थी। सिन्धु घाटी की सभ्यता का निर्माण तथा प्रसार दूर-दूर के देशों तक वैश्यों ने किया या उनकी वजह से हुआ है।
भारतीय परम्परा में वर्ण शब्द का प्राचीनतम उल्लेख यजुर्वेद के ३१वें अध्याय में मिलता है, लेकिन जाति शब्द का प्रयोग अपेक्षाकृत नया है। ये चार वर्ण मनुष्यों की प्रकृति (स्वभाव या विवेक) के तीन गुणों के मिश्रण से बना था - सत, रज और तम।
समय और श्रम का सदुपयोग करके ही मनुष्य प्रगति की ओर बढ़ता है ।। यदि इन दोनों का क्रम अस्त- व्यस्त रहे तो फिर जीवन का कोई महत्त्वपूर्ण लाभ न उठाया जा सकेगा ।।
समय और श्रम यह दो प्रत्यक्ष देवता है । राम- लक्ष्मण की तरह, सूर्य- चन्द्र की तरह, धरती- आकाश की तरह इनका भी जोड़ा है । इनका दोनों पहियों का ठीक तरह ताल- मेल बिठाकर ही मानव जीवन का प्रगति रथ आगे बढ़ता गया... इस रथ पर महाराजा अग्रसेन, अकरुर जी, सत्यवादी राजा हरीश चंद्र, सुंदरदास जी और भामाशाह जैसे वैश्य शिरोमणी इस धरा पर आए और अपने नेक कार्यो से धरती पर बसने वाले असंख्य लोगो का कल्याण किया...
आज भी इतिहास में महाराज अग्रसेन परम प्रतापी, धार्मिक, सहिष्णु, समाजवाद के प्रेरक महापुरुष के रूप में उल्लेखित हैं।
महाराजा अग्रसेन उन महान विभूतियों में से थे जो सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखायः द्वारा युगों-युगों तक अमर रहेगें।
त्रेता युग में अयोध्या के राजा हरिश्चन्द्र जो इक्ष्वाकु वंशी थे । बाद में श्रीरामचंद्र जी भी इसी वंश में हुए। धर्म में उनकी सच्ची निष्ठा थी । और वे परम सत्यवादी थे
चंद्रगुप्त और चाणक्य जैसे परम योदवा और ज्ञानी जिस समाज में पैदा हो वो समाज कितना नीतिवान होगा आप इसका अंदाजा लगा सकते है। और जब राज्य पर आर्थिक संकट आया तो दानवीर भामाशाह जैसे लोग उठ खड़े हुए। भामाशाह ने वो मिसाल दी कि जब लोग दानियों का उल्लेख करेंगे तो पहले भामाशाह का नाम होगा।
संसार में चार ही प्रमुख शक्तियाँ हैं १.ज्ञान, २.बल, ३.धन, ४.श्रम, इन्हीं चारों खम्भों पर प्रगति का मंच खड़ा किया गया है ।। मनुष्य ने अब तक जो उन्नति की है, उसका सारा श्रेय इन चार विभूतियों को ही है। इन सभी में धनी आधुनिक युग में महात्मा गांधी, लाला लाजपतराय, मैथिलीशरण गुप्ता, रामनाथ गोयन्का जैसे वैश्य गौरवों का नाम उल्लेखनीय है, मोहनदास कर्मचन्द गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। जिनको समस्त संसार आज भी अपना प्रेरणा स्रोत मानता है और उनकी नितियों पर चलता है... तो वहीं लाला लाजपत राय भी हुए जिन्होनें भारत की आजादी के आंदोलन के साथ-साथ वित्तिय जगत को सृढड करने की नींव रखी। पंजाब केसरी लाला जी ने अपनी जिंदगी को देश के लिए कुर्बान कर दिया।... ...
आजादी के बाद हिंदुस्तान के सामने नई चुनौती थी .. देश को वापस खड़ा करने की। बुदि और प्रतिभा का धनी वैश्य आगे निकला और संभाल लिया मोर्चा.. समाज के लोगों ने अपनी-अपनी तरह से देश के विकास में योगदान दिया। तो वहीं व्यापार में उन्नति करते गए। इस समाज ने घनश्यामदास बिरला, गुज्जरमल मोदी, जमनालाल बजाज, कमलापंत सिंघानिया दुगार्प्रसाद मांडिल्य जैसे उद्योगपति दिए वही विक्रम साराभाई, डीसी कोठारी,डॉ आत्माराम जैसे वैज्ञानिक दिए। मौजूदा दौर में भी वैश्य समाज के लोग पूरी दुनिया में अपना परचम लहरा रहे है। लक्ष्मी निवास मित्तल लंदन मे बसे भारतीय मूल के उद्योगपति है। वे दुनिया के सबसे धनी भारतीय, ब्रिटेन के सबसे धनी एशियाई और विश्व के ५वें सबसे धनी व्यक्ति है। मित्तल एल एन एम नामक उद्योग समूह के मालिक हैं। इस समूह का सबसे बड़ा व्यवसाय इस्पात क्षेत्र में है। अब भी उन्होंने अपनी भारतीय नागरिकता नहीं छोड़ी है। सुभाष चन्द्रा भारत के एक उद्यमी तथा एस्सेल समूह के अध्यक्ष हैं जिसने भारतीय उपग्रह टेलीविजन प्रसारण में क्रान्ति का सूत्रपात किया। देश और विदेश के प्रमुख उद्योगपति समाज में एक खास पहचान बनाए हुए है। हमारा समाज दीन दुखियो अभावग्रस्त लोगों को मुख्य धारा में लाने के लिए प्रयासरत रहता है। ये बड़े गर्व से कहा जा सकता है कि देश और विदेश में विद्यालय, अस्पताल, धर्मशालाए, वैश्य समाज की देन है। अपनी व्यावहिरकता से वैश्य समाज ने दुनिया को जीने का तरीका और कमाने का तरीका सिखाया है।
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वैश्य समाज के घटक -
- अग्रवाल
- माहेश्वरी
- खण्डेलवाल
- औसवाल
- विजयवर्गीय
- माहुर माहौर
- महावर
- माथुर
- रुस्तोगी या रोहतिकी
- आर्य वैश्य
- गहोई
- गुजराती
- अग्रवाल (कदीमी)
- जायसवाल
- मेडतवाल
- जैनी
- ग्वार्रे माहौर
- बरहसेनी (वाष्णर्य)
- कान्यकुब्ज
- केसरवानी
- महाजन
- गुलहरे
- चतुश्रेणी माहौर
- अग्रहरि
- गिंदौडीया या गंधारिया
- अयोध्यावासी
- तैलिक
- मध्यदेशीय
- शौंड्रिक
- महाराजन
- शूरसेन
- कमलपुरिया
- ओसवाल
- राजवंशी
- बरनवाल
- बरसानी
- पुरुवाल
- नरीसिंह पुरे जैनी
- ओमर
- मौर्य
- चुरुवाल
- श्रीमाल
- श्रावक
- नगर
- हरदुई
- धाकड़ (माहेश्वरी)
- सहू
- जांगडे
- पुरुवाल
- भगेरवाल
- अटोड़े
- मोढ (चतुर्वेदी)
- पल्लिवाल
- लोहानिया
- कुमारतनय
- पोकरे
- टोकवाल
- नेमे
- पह्रावती
- दसौरे
- खटौरे
- चौसेनी
- डीडू
- शिवहरे
- गोलवारा
- झांकडे
- भटेबड़े
- यज्ञसेनी
- दोसर
- लोहिया
- मेहता
- वाथम
- कसौंधन
- माहुरी
- रौनियार
- चौरसिया (तम्बौली)
- अवधिया
- अवधपुरिया
- सुनमानिया
- भगत
- कौमटी
- मिहिर
- मिहिरया
- मडर
- महावणिक
- उसमार
- कुंवरे
- खोबी
- पिसरवानी
- काठ
- जमेय
- कथ
- गुडिया
- कपोला
- पुरातन
- खंडायत
- कोलवार
- गोभुज
- सेठी
- लिगायत
- अडाजल
- आनेपवाल
- अजमेरा
- अडोरा
- अटाचर
- अडालीय
- अचतवाल
- अर्चितवाल
- उनवाल
- अढय
- उर्वला
- इन्दौरिया
- कठेरवाल
- कुरमी बनिया
- काकरिया
- कजोहीवाल
- कम्बोवाल
- करनेरा
- कन्दोइया
- कथोला
- कठोरा
- करटीवाल
- ककोला
- कोलापुरी
- कुंथतर
- कपाडिया
- कुरवार
- कसमिरी
- काणु
- काखना
- कादू
- खडेता
- खातरवाल
- खोची
- खाखा
- खेमवाल
- खड़ायचा
- खेरवाल
- गोलपुरी
- गसोरा
- गुजाखा
- गंगेरवार
- गोगवार
- गबचक
- गजेरा
- गौरी
- गौरत
- गढ़वाली
- गंगराडा
- गूजरवाला
- गांधरियालया
- गोलाई
- गोरखे
- गंगापारी
- गोहले
- घ्रामी
- चित्रवाल
- चौलोडिया
- चककचाप
- चकोड़े
- चतुरथ
- तलनडा
- नचत्ररा
- चितोड़ा
- चुरुवाल
- छोटी
- जारोला
- जीवणवाल
- जैतवाल
- जम्बू
- जेमा
- जनोरा
- जमनिया
- जैतिसवार
- जलहरी
- जीगोपारी
- झालियार
- ज्लोरा
- झरौल
- टटार
- टकचाल
- टाटोरीया
- टीटोड़ा
- ठठवाल
- ठाकरवाल
- ठाकर
- डीडोरिया
- डीसावाल
- दृढ़ओमर
- डाबसीवेस
- दवारीकावासी
- दसोरा
- दसारा
- दोइलबाय
- देशवाल
- दासादी
- देवारी
- दिल्लीवाल
- धवल
- धारवाल
- धाडी
- धोई
- धवलकोष्ठी
- नागेन्द्रा
- नाधोरा
- नारोढ़ा
- नरसिया
- नराया
- नाथचलना
- नहामे
- नागदवही
- नवामरा
- लोटिया
- नाछिला
- नागनहेसा
- नाणी
- ताडरा
- पाटोलिया
- पदमीरा
- पतेवाल
- पन्यचवाल
- पुष्करवाल
- परवाल
- पवाचिया
- पिवदी
- पडासिया
- तंचम
- पासरा
- परवता
- पधारा
- पांतिवाल
- पौकर
- प्रवरा
- प्रहराव
- पटानिया
- पटनापपुरी
- पंचमपोखरा
- गड्दास
- बैसबनिया
- बड़ेसा
- बुढल
- बौगार
- बहकाया
- बगबस
- बावरिया
- बारहमासी
- वोहरा
- बरगास
- बदनोरा
- झुगडवल
- भाकरिया
- भवनगेह
- भारीजा
- भगोरवाल
- भुंगडा
- भृत्यनुरी
- भाटिया
- बटेवरा
- भागऊ
- भुगत
- भ्रगाडी
- मौध
- मेहवाडा
- मंगोरा
- मांडालिया
- मेडारा
- मटिया
- माया
- मथपरा
- मांडारा
- मंडीहड
- मैथल
- मोरनवाल
- भेडावाल
- महिरवाल
- मीरनवाल
- मुईहार
- मोरको
- राजपुरी
- रोथाई
- रोगोरा
- रुई
- श्रामा
- रहटी
- रजिया
- लाडीसाक
- लाड
- लुहारिनया
- लाहू
- लाकम
- लवेच
- वरुरी
- विदियादा
- वैश
- बटीवरा
- वयाद
- बिसलवार
- वोगरा
- वर्णवरा
- वघ्र
- वसमी
- वायेदा
- वायेच
- वाइस
- बस्ता
- वादरवाल
- वाग्रीवा
- वरीरी
- वागरोरा
- वदवईया
- वपछवाल
- वाचड
- वेडनारा
- वाहोरा
- वाल्मीबाल
- वड़ेहा
- बन्दरवाल
- बारमाका
- स्वर्णकार
- सेजतवाल
- सेहरवाल
- सौराठिया
- सूतल
- सरहिया
- सतवाल
- सलाऊ
- सरखरल
- सुराणी
- सौधत
- सान
- सतीगुरु
- सहेल
- सडाइया
- स्वरिव
- सारेडवाल
- सिगार
- सेतवाल
- सौनेया
- साध
- सारविया
- सिरकटा
- साचोरा
- सुरसरवाल
- भीखण्ड
- हलोरा
- होहल
- हरद
- हाकरिया
- हूम
- हरसारा
- शेट्टी – चेट्टी
- सूद
- उडिया वैश्य
- बंगाली वैश्य
- आसामी वैश्य
- वाणी
- लाड
- बंड
- श्रवणेकर
- गेरगांवकर
- कपिलेश्वर
- बेरडे
- मुद्र्स
- खाटू
- भोगाटे
- बामाणी
- तोंडलीकर
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वैश्य समाज के घटकों के गौत्रों की सूची -
अग्रवाल समाज के गोत्र -
गर्ग, गोयल, कक्चल, मंगल, बिंदल, ठालन, सिंहल, जीतल, मीतल, तुंगल, कांसल, तायल, बंसल, नांगल, मुदगल, इन्दल, एरन, गोयन (आधा)
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खण्डेलवाल वैश्य समाज के गोत्र -
आटोलिया, आकड़, आमेरिया, औढ, कट्टा, कठोरिया, कायथवार, काठ, कासीलवार, किलकिलिया, कूलवाल, केदावत, कोडिया, खारवाल, खूंटेटा, गोढलिया, घीया, जघिनिया, जसोरिया, झालानी, टटार, ठाकुरिया, डंगायच, डांस, तमोलिया, ताम्बी, तोड़तना, दुसाद, धामानी, धौकरिया, नारायनबार, नाटानी नैनामा, नैविवार, पचलोरा (बडगोती कूड), पागूवाल (पावूवाल), पाटोदिया, पितलिया, फरसोईया, बटवारा, बडाईया, बडहरा, बनाऊडी, बम्ब, बाजरगान, बावरिया, बूडवारिया, बुसर, भंडारिया, भांगला (महता), भुकमारिया महरवाल, माठा, मानिक, मामोडिया, माली, मागोलिया, माचीवाल, मेठी, राजौरिया, रावत, लाभी, वैद, साखोनिया, सामरिया, साहरिया (शाहरा), सिरोहिया, सिंगोदिया, सेठी, सौंखिया, हल्दिया
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माहेश्वरी समाज के गोत्र -
सोनी, सोमानी, जाखेटिया, सोढाणी, हुरकट, न्याती, हेड़ा, करवा, कांकाणी, मालू, सारडा, काह्ल्या, गिल्डा, जाजू, बाहेती, बिदादा, बिहाणी, बजाज, कलंत्री, कासट, कचोल्या, कालाणी, झंवर, काबरा, डाड, डागा, गट्टाणी, राठी, बिड़ला, दरक, तोषनीवाल, अजमेरा, भण्डारी, छापरवाल, भट्टड, भूतड़ा, बंग, अटल, ईन्नाणी, भुराडिया, भंसाली, लढा, मालपाणी, सिकची, लाहोटी, गदइया, गगराणी, खटौड, लखोटिया, आसावा, चेचाणी, माणधणया, मूंधडो, चोखडा, चांडक, बलदुआ, बालदी, बूब, बांगड़, मंडोवरा, तोतला, आगीवाल, आग्सुंड, परताणी, नांवधर, नवाल, पलोड़, तापडिया, मनियार, धूत, धपूड, मोदाणी
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दिगम्बर जैन वैश्य समाज के गोत्र -
गोलसिंगार, गोलराडा, बघेरवाल, जैसवाल, श्रीमाल, हूबड, मेड़तवाल, खण्डेलवाल, अग्रवाल, ओसवाल, सहस्त्रजाति, पोरवाड, चित्तैड, पल्लीवाल, डेडुं, नरसिंह बोहरा, लंबेचू, हरसौरा, देशवाल, गूजरजाति, छेहडवाल, रायकवाल, गंगेडा, बापड़ा (गुजरात), वंभेरा, नागद्रन्हा, बंधनोरा, नागर, धाकड़, रोहिणीवाल, नीवाकड, मोढ़, मेवाडा, सोरठवाल, हरणं, कपोल, मालवड़े, गोहिलवाल, सोहिडवाल, लोहक, विचावास, राजाइल, जैसल, गोरड, सोरा, महलवाल, चार्बिसी, श्रीखंड, जसमेरा, गुणवाल, राजुरा, माथुर, गोहिलवाल, परवाडा, विग्धुव, मोहवड, राजतवाल कठनेरा, भीठ, कंकोल, अठवर्गी, खीरणा, करडा, बघुनरा, उजन्या, विख्या, नतवाल, जागड़ा, कंविथावल, कवीतिक, धवलवाल, सोहित वाल, बोगार, पंचम, चतुर्थ, वैस्य, कोपटी, क्षत्रिय जैन, श्रावक, नारायना, स्वरूपा, लोह, खंडायीता |
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खण्डेलवाल दिगम्बर जैन वैश्य समाज के गौत्र -
साह, पापड़ीवाल, भांवसां (भौसा) बडजात्या गोदिका बगडा पिददिका, पहाडया/पहाड़िया, डरदौघा, नरपत्या, पांड्या झिन्थरया, भुलणया, वनमाली, छाबड़ा/साहबडा, पितल्या, गदिया/गदह़ा, चिरकन्या, चांदूवाड़, अरडक, सोहनी (सोनी), पाटणी, भूंछ/भौंच बज आमन्या, बज मोहन्या, रारा, राउंका, रावत्या, बिलाला, मोदी, मोठ्या, बिलाला दुतीय, कोकराजा, जगराज्य, छाह्ड, मूलराज, दुकडया, गोतवंशी, कुलभन्या, बोरखडया, सुरपत्या, दोसी, क्षेत्रपाल्या, लोह्ग्यां, निगोत्या, अजमेरा, गोधा/ठोल्या, राजभद्रा, निगधा, निरपोल्या, सारवाड्या, कडबागर, पिंगुल्या, विनाइक्या, पोटल्या, कासलीवाल बगडा, सवलावत, बाकलीवाल, लुहाड्या, लोहट/लावट, सेठी, पाटोदी, लटीवाल, सोगाणी, गिंदोड्या, बंब, साखून्या दगडा, बैनाडा, भूवाल, राजहंस्या, अहंकारया, जलभण्या, मोलसरया, चौधरी, पापल्या, भडसाली, अनोपडा चौबरया, भसावड्या
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विजयवर्गीय समाज के गोत्र -
अघाई, अजणोध्या, अजमेरा, अजमेरा सिंगी, अधेड्या, अमरियो, आटूणा, आमटा, आसनीवाल, आशापुरा, आसोज्या, ईडी ऊँची, कजडिया, कटारिया, कह्कटा, कहकटा पखाड्या, कापड़ी, कुलहलता, कोटवाल, कोदई, खटउडा, खड़ास, खरडा संगी, खंडारिया, खूंटेटा, खेतोद्या, खुंबाल, खोहीवाल, खोहरीवाल, गजनीवाल, गाजनीवाल, गढ़ई, गढ़वाल, गुगोरिया, गुड्स, गुदरिया गुलटिया, गुराऊ, गुराऊ भियान्या, गुलेरिया, ग्वालेरिया, गोखरुवाल, गोठडीवाल, गंगवाल, घरसवाल, घीया, चट्या, चाँदीवाल, चिंगटया, चींटीजवाल, चून चट्या, चौधरी, चौपरिया, जयवाल, जर्डिया, जलधरिया, जौजोधा, टोकारवासा, डांस, डूगारिया ढोसीवाल, तमोली, तहतून्या, नारनोल्या, नाराणीवाल, नान्दन्या, नाहर्या, निझरन्या, निरमल्या, नुगललान्या, पट्वास, पड़वान्या, परडा, पंखाड्या, परवा, पल्लीवाल, पहाड़ा, पचलोडिया, पंचल्होडया, संगी, पंचालिया, पंचोली, पाटन्या, पाटणीवाल, पानडी वाल, पादडिया, पाटोदिया, पिपलोद्या, पिपाडया, फगईवाल, बडदा, बढ़ाडरा, बंधलीवाल, बंधीलाल, बन्दीवाल, बस्सीवाल, बसत्या, बहराड्या, बहेतरा, बाकुल्या, बिजोल्या, बिलवाज, बुढान्यो, बोरा, बोरा, संगी, बोहरा, भटसुई, भराडलिया, भारीवाल, भियान्या, कटारिया, भियान्या, ग्वालेरा भियाण्या, जुजमता, भियाण्या, जुझायता भियाण्या, पुरख भियाण्या, पूर भियाण्या, सुर्ख भियाण्या, शुद्ध भियाण्या, मंडीवाल, मणिहार, मारोटिया, माली, मुडरिया, मूंग्या, मुलतानी, मुवानिया, मेड्त्या, मोखड़ीवाल, मोढ्या, राइवाल, राजोरिया, रोहिवाल, लाटणीवाल, लिलोरिया, लूणीवाल, लह्ताणी, लुहारिया, वरडा, वैंकटा, षणथलीवाल, संघी, सलोलक पुरिया, साखुण्या, साखुण्या पंचोली, सागरया, सिंघवाण, समरीवाल, सुजाण्या, सुनारया, सुरधणीवाल, सुरसन्या, सुरसूरीवाल, सुरल्या, सेढाणी, सोहलिया, सोरठा, हर्षोरीवाल, हसुरीवाल, हिंगवा
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महावर वैश्य समाज के गौत्र -
कुचलस, कुचलिया, कोट्वालिया, कुडदल, गिरगस, मनेठीवाल, गिरगस कांटीवाल, गिरगस बसई (बसैया), गिरगस मोहल्लेदार, गिरगस रिवाड़ीवाले, गिरगस गागल, गिरगस गोयल, गिरगस चूखना, जलवेरिया, बचलस मढैया (मांढावाले), बचलस रिवाड़ीवाले, बचलस, बिन्दलस, बीजवाडिया, पैंटपुरिया, मढैका (डाटा), मालसा, मंडलस, लांगा, वनावरी, वालदी, महावनी, मलैया, महावनी कुचलस, मुद्रुल, मवाल, सांमरा, सोनी, सर्राफ, झिंझर, धातरिया, सिलपटवाल, मीर का सोनी, लोहिया, कादल, ढिंगी, सोंधरा, गुडतक, सिंधरा / सोंधरा, सिंगलस, वर्खेडिया, वींदावाला, बनारसी, कोढ़ल, उठमिल, मींढका
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पोरवाल वैश्य समाज के गौत्र -
मंडावरिया, कोहनिया, दंगाडा, सामरिया, उजरडोल, कंजोलिया, टोंगरिया, चौहदवा, मोरावल, यशलाहा, कुचर, चारवादार, नेनकारिया, रोल्या, सुदासददा, बिहाडिया, पाचौली लखटाकिया, अधेड़ा
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माथुर वैश्य समाज के गौत्र -
अनवरिया, अठवरिया, अरबरिया, अलापुरिया, अनवरिया-पैगोरिया, अठभैया (अठवैया), अटावार, आलमपुरिय, बगुल, बरैया, बगुलावार, बछरवार, बिरजावार, बलाईवार, बासलास, बारीवार, विरोरिया, वावरपुरिया, बन्देसिया, विरेहुआ, बामनिया, बादऊआ, बादलस, विरथरिया, बाछल, भेसनवार, भितकोठिया, भवालपुरिया, भदरोपुरिया, भदरोलिया, चौदहराना, चौसइया, दौनेरिया, एतिवार, गजपुरिया, गिंदौलिया, गिठोलिया, गांगलस, गुलिया, गणपति, गुटेरिया, गोतनलस, गोलस, घाघरवार, हतकठिया, हथकठिया, जटुआ, जबरवा, जिगरिया, जरवरवार, जिरोलियाँ जिगरवार, झाकरीवार, जयदेवा, कठैरिया, कौशल, कोतवाल, कंजोलिया, काशीवार कुटेरिया, कुतवंरिया, कच्छलस, कतरोंलिया, कंगोलिया, कसेरे, कठछारस, कातस कोठिया, खोवडिया, खुटेटिया, लघउआ, मोहनियां, मोदी, मैरोठिया, मठावार, माठेसुरिया, मुखरिया, महामनियाँ, महावार, माडलस, निबोरिया, नौगईया, औरिया, पंचाधारी, पैगोरिया, पनवरिया, रैवेहुआ, सुरैया, संवासिल, सुजानपुरिया, सुदैसिक, सैकड़ा, शनिचरा, सोनी, साडिल्य, शल्या (सल्ल), समासीन, शिरोइया, तेनगुरिया, तेरहमनियां |